Saturday 7 March 2020

Poetry

A beautiful poem dedicated to all those girls & ladies who were the participants  of the Delhi riots directly or indirectly.

This poem is dedicated to those ladies who destroyed the thousands lives in Delhi riots, this poem is dedicated to all those ladies who burned the crores rupees properties and assets of innocent people. Those ladies who killed hundreds of innocent people and hundreds of innocent police of India, Police is our protector, police save us in all aspects of problem and you killed police, you throw stones on police... shame on you
I just one word for those ladies "Shame on You", the Title of the poem is "और तुम डंडे मारती हो, पत्थर फेंकती हो", enjoy the poem below:


अल्लाह की हूर हो, हसीं हो कोहिनूर हो,
ना जाने कितने के दिल की सुरूर हो,
धरती पर कबूल की दुआओं शमशीर हो,
और तुम डंडे मारती हो, पत्थर फेंकती हो,

मर्दों की नफरत उनपर हिन् छोड़ दो,
प्यार के मूरत ममता की सूरत हो तुम,
नफरत में खुद को क्यों झोंकती हो,
धरती पर अल्लाह के ममता की पीर हो,
और तुम डंडे मरती हो, पत्थर फेंकती हो,

थोड़े से पैसे के लिए तुम ईमान बेचती हो,
सुनने में आया की ५०० रुपये के लिए,
धरने पर बैठ जाती हो,
आपके कौम में औरतों को आजादी नहीं किसी चीज की,
और तुम डंडे मरती हो, पत्थर फेंकती हो

क्यों नफरत में जलती हो, क्यों भारत से भुनती हो,
हिंदुस्तान चुना तुम्हारे पूर्वजों ने, और तुम हिन्दुओं को मरती हो,
नफरत भरे तेरे कोख में क्या वैज्ञानिक जन्म लेंगे,
सुंदरता के अनोखे समुन्दर की तुम मोती हो,
कायल होते है ना जाने कितने अल्लाह के दीवाने तुमपर,
और तुम डंडे मारती हो, पत्थर मारती हो।

कहते है की परिवार में खटपट होता है,
थोड़ा बहुत मन मुटाव होता है,
हम भारतवासी एक परिवार है, हमें मिलकर रहना है,
जरा सी बात पर तुम शैतान बन जाती हो
और अपने हिन् भाइयों को दांत काटती हो,
ईश्वर की अनमोल रचना हो तुम,
एक माँ, एक बहन, स्वयं रचयिता हो तुम,
और तुम डण्डे मरती हो, पत्थर मरती हो।
बहुत गलत बात है।




There are few more below creation which is focused on differrent differrent aspects of the life and country's, i tried to depict a virtual picture in mind with words in order to explain the scenarios, please these things are only for entertain purpose
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हिंसा की आग बुरी है
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हिंसा की आग है बुरी
हिंसा करना बात बुरी है
मत झोको खुद को इसमें
इसकी तो जात बुरी है।

हे भारत के रहने वाले
तुझसे है एक नम्र निवेदन
फस मत किसी के बहकावे में
बहकाने वाले की नस्ल बुरी है।

अखंड भारत हीं मंदिर है
अखंड भारत हीं मस्चिद है
अखंड भारत चर्च गुरुद्वारा
देशभक्ति हीं पूजा इबादत है
देश वंदन हीं एक विकल्प है
एक यही बस सबका संकल्प है
प्रेम की प्यास हो भाई भाई के मन में
हिंसा कि हर आग बुरी है।

जलती दिल्ली, जलता कश्मीर
जलती देश के हर प्रदेश की
दो कौम की ये लड़ाई,
लड़ने की हर बात बुरी है,
आपकी प्यार हीं आपके बच्चों की
भविष्य सुरक्षित रख सकती है,
वरना आग में सब जलेंगे
सब मिटेंगे सब मरेंगे
मारने वालों की मां बुरी है
हिंसा की आग बुरी है।

खौलता उबलता इस्लाम की बर्बरता
कौम की आड़े हिंसा की बर्बरता
प्रदर्शन के आड़े हिन्दू के साथ बर्बरता
आम जनजीवन के साथ बर्बरता
गलत है ये धर्म विस्तार की बर्बरता,
छोड़ो पुराने अधर्म की गाथा,
लिखो भाईचारे की नई परिभाषा
खून खराबा अधर्म की मानसिकता
कौम की बर्बरता की सोच बुरी है
हिंसा कि आग बुरी है
हिंसा की आग बुरी है

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हम व्यर्थ में जीवन जीते  है
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हम हारे हैं जीवन से 
दिन गिनते आगे बढ़ते हैं,
एक दिन सब ठीक होगा,
कह कह के जीवन जीते है,

कुछ कहते है कुछ सुनते है 
सुन सुन कर जीते है,
सालों बीत जाते है,
एक दिन की तरह, एक पहर की तरह,

कुछ ठीक नहीं है जीवन में,
बस उम्र कटते जाते है,
हमतुम तुम हम क्या है,
सोच सोच कर सोते जागते है,

क्यों जनम लिया, क्या ध्येय मेरा,
कुछ ऐसा हिन् हम ढूंढते है,
क्या सोचा था ईश्वर ने जो,
धरती पर हमें भेजा है,
कुछ तो हमें करना है,
क्या करना है ये रोते है, 

क्या करना है क्या कर रहे,
हम प्रेत से विचरण कर रहे,
समय नहीं कभी रूकती है,
हम व्यर्थ में जीवन जीते  है ,

क्या हुआ हमसे समाज में ,
कोई परिवर्तन ना हम ला रहे,
क्या सोचा था क्या कर रहे,
हम व्यर्थ में जीवन जी रहे,

क्या सपना है क्या करना  है,
क्या मजबूरी, क्या लक्ष्य है,
हम विचरण हैं कर रहे,
हम व्यर्थ में जीवन जी रहे,

करना है कोशिश हर पल,
कुछ बेहतर और बेहतर करने की,
सपनो को गति देने की,
धीमे ख्वाबों को उड़ाने की,
व्यर्थ नहीं है जीवन अपना,
कुछ करके साबित करने की,
उम्र बची है बहुत अभी,
हर हाल में खुश होकर जीने की, 

हे कोशिश करने वाले सुन,
तेरे लिए है पैगाम कोई,
तू डर मत रुक मत, बढ़ता जा,
तू पत्थर पर नाम गढ़ता जा,
तुझमे है आग कुछ करने की,
कुछ बदलने की, सफल होने की,
जो व्यर्थ में जीवन जी रहा, उसके उलझन में ना पड़
कठोर पाषाण सा बनकर, अपने कर्म को करता जा,


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माँ भारती नमन है तुझे
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माँ भारती नमन है तुझे,
माँ जननी नमन है तुझे,
धन्य है तेरी बलिदान,
धन्य तेरा करुण कृपा है,
धन्य तेरा रूप अनोखा,
धन्य तेरा ममता माँ है,
तू हिन् तू है रमा जन जन मैं,
तुझसे हिन् सब वीर सपूत है,
तू स्रोत है ज्ञान विज्ञानं की,
तुझसे रची है जीवन सबकी,
माँ तुझको नमन है।

सम्राट अशोक पला तेरे गोद में,
तूने बुद्धा महावीर दिया है,
दयानंद विवेकानंद तेरे सपूत है,
तूने महान पुत्र दिए,
मणिकर्णिका और पद्मावती ,
पुत्रियों की ख्याति है महान,
तेरे करनी तेरे माँ की
वीर व्याख्या है महान,
आधुनिक भारत के भक्त है मोदी,
अखंड भारत के भक्त महान,
तेरा शीश न झुकने देगा,
तेरा भक्त है वो वीर महान,
तेरे एक एक काम वो कर रहा,
तेरे सभी संकल्प पूरा कर रहा,
तुझे नमन करता वो हर पल,
तू हिन् तू है उसके रग रग में,

माँ भारती नमन है तुझे,
माँ भारती नमन है तुझे,
वीर पुत्र एक ओर खड़ा है,
सभी विपक्षी एक तरफ,
काले कमाई बंद हो गए हैं,
भ्रष्ट सभी एक तरह है,
अडिग अविचल एक और खड़ा है,
वीर पुत्र तेरा है नरेंद्र,
जिसके रगों में तू बहती है माँ,
माँ भारती नमन है तुझे,

बेटे तो सब है तेरे,
लगभग सब कुपुत्र है,
कुछ हिन् है जिससे तू सुरक्षित है,
वीर जवान है तेरी पहचान,
सरदार, शास्त्री, सुभाष, भगत, चंद्रशेखर, मोदी है सुपुत्र महान,
महान अनेकों पुत्र है तेरे ऐसे,
जो तुम्हे सुरक्षित रखा है अभी,
शीश कभी काम ना होंगे,
तेरे कदमो में गिरने को,
नहीं बचेगा हर वो द्रोही,
जो आएगा टुकड़े करने को
माँ भारती नमन है तुझको,
माँ भारती नमन है तुझको
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हिन्दू अगर असहिष्णु हुआ तो
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तुम २० % में कूदने लगते हो, तुमसे तुम्हारी ताकत बर्दाश्त नहीं होती है, तुम हिंदुस्तान में हीं हिंदुओं को दफन करने की बात करते हो, हथियार जुटाते हो और आतंकवादी हमले करवाते हो, और भारत में फल फूलकर पाकिस्तान के नारे लगाते हो, तो देश के मिट्टी से गद्दारी करने वाले देशद्रोही सुनो, 
हिन्दू अभी तक सहिष्णू है, जिस दिन सब्र का बांध टूट गया ना तो कोहराम मच जाएगा,

हिन्द पुत्र जब गरजेगा
तेरा भुवन कांप उठेगा
दफन हो जाओगे गद्दारों तुम सब
भगवा प्रपंज लहराएगा।
 भारत के हर कोने से
 तू मूल समेत उखाड़ा जाएगा
 मत भूल सहिष्णु है हिन्दू
 फिर गया अगर तो मर जाएगा।
 प्रखर ज्वाला से शस्त्र बनेगी
 शंखनाद कोलाहल होगा
 त्राहि त्राहि तुमलोग करोगे
 अंबर भगवामय हो जाएगा,
 गुरुकुल होगा, अखंड काशी होगा
 जहां होगा सिर्फ मंदिर होगा,
 तुम सिमट जाओगे दूर कहीं
 धरती के किसी टुकड़े में,
 दुनिया के नक्शे से पाक मिट जाएगा
 अखंड भारत हो जाएगा।
नील गगन क्या नील समंदर
सब भगवा भगवा हो जाएगा
दुर्भाग्य हमारे है भारत मां
की हिन्दू असंख्य टुकड़ों में है,
एकजुट नहीं हो पाते ये 
चौहान और जयचंद दोनों है
खैर करो जिहादी तत्वों
हिन्दू अभी साहिष्णु है।
हिंदू अगर कट्टर हुआ तो
भगवामय हो जाएगा
पाक, बंगाल, भारत समेत
आधी दुनिया लाल हो जाएगा,
भारत को छलनी करने वाले
तू खाक में मिल जाएगा।
मगर देश पीड़ित है
सोता हिन्दू से
इसकी नींद पुरानी है
मुगल, अंग्रेज, नेहरू , जिन्ना
इनकी फूट की कथा निराली है,
फिर देश में वहीं बवंडर
छाया है यही आडंबर
इनके छलावे को हिन्दू नहीं समझ पाता है,
हिन्दू तोड़कर पाक बनाया
फिर बनाया कश्मीर,
अब भारत में धीरे धीरे फिर से बन रहे है
किशनगंज, बंगाल, शाहीन बाग़, सीलमपुर, मुजफ्फर नगर, करना इत्यादि
फिर से देश को उसी रास्ते पर
अतंकि सोच ले जा रहा
गर हिन्दू असहिष्णु हो गया तो 
त्राहि त्राहि मच जाएगा
कोलाहल होगा
लोग भागेंगे, दाढ़ी काटकर नाम बदलेंगे,
देश छोड़ भाग जाओगे, जो बचे रह गए यहां तो
मुर्गे की तरह मारे जाओगे।

वन्दे मातरम

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नफरत फैलाने वाले तुम हो कसाई
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हिन्दू हो या मुस्लिम हो,
हो सिक्ख या ईसाई,
नफरत फैलाने वाले तुम हो कसाई,
तुम देशद्रोही हो राष्ट्र द्रोही हो
हो तुम भारत का दुश्मन
JNU, AMU  या शाहीन बाग़
जाकर तुम हर जगह, छीन लेते हो चैनो अमन।
तुम रचते हो षडयंत्र देश की
रचते हो षडयंत्र हिन्दू की
भड़काते हो हर मुस्लिम को
देश में आग लगाते हो,
बस तोड़ते हो, सड़क रोकते हो,
गाड़ी जलाते हो और पुलिस पर बम फेंकते हो,
तुम मशचिद मशचिड हथियार जमा करते हो,
हिन्दू रैली पर पेट्रोल बम फेंकते हो,
तुम कहते हो हिन्दू असहिष्णु है, 
और खुद हीं मार गिराने की बात करते हो
कहते हो कि १५ मिनट में हिन्दू मिटा डालोगे,
कहते हो कि "हिंदुओं की कब्र खुडेगी  AMU की धरती पर"
कहते हो कि "हिंदुओं की अलख जलेगी, AMU  की धरती पर"
तेरे कर्मों को सोया हिन्दू अभी बड़े आराम से सुन रहा है,
जब ये हिन्दू शेर जगेगा तेरी शामत आएगी,
तुम सब मारे जाओगे या यहां से भगाए जाओगे,
तेरे साथ हिन्दू जयचंद भी मारे जाएंगे,
कश्मीरी पंडितों का तूने जो अपमान किया है
उसके शाप से शापित होकर तुम भी चैन ना पाओगे,
तुम आतंक का चेहरा हो, तुम इसको कैसे छुपाओगे,
२१% में तूने भारत के टुकड़े कर दिए थे,
आज भी १५% हो गए हो, और आजादी के नारे लगा रहे हो
आजादी तो तुम्हे १९४७ में मिल गई, क्यों नहीं गए पाकिस्तान
तुम्हारा यहां कुछ नहीं है, कैसा अधिकार चाहिए तुम्हे।
याद करो, तुमने हीं कहा था, की मुस्लिम काफिरों के साथ नहीं रहेगा,
तभी तूने पाकिस्तान लिया, फिर क्यों रह गए यहां, आखिर हिंदुत्व तो काफिर है ना,
अभी भी वक्त है चले जाओ, 
भारत सिर्फ हिंदुओं का है, तुम कौन होते हो हिस्सा मांगने वाले,
देखो जागो मुस्लिम प्यारे, दुनिया तुझे किस नजर से देखती है, 
अतंकवादी समझते है सब तुझे, आतंक का हीं तो तू चेहरा है,
वक्त ये बदलाव का है, खुद में और अपने धर्म में बदलाव लाओ,
देखो दुनिया में हमेशा तुम्हारे हर उठे फन को कुचल दिया गया,
कहां है ओसामा, कहां बग़दादी, कहां सुलेमानी 
तुम्हारा आतंकी संगठन सब जहुन्नम चले गए,
सीखो और चल पड़ो, अमन चैन के रास्ते पर,
जियो और जीने दो, यही वेद, यही पुराण है, यही इंसान है,
छोटी सी जिंदगी है, कुछ दिन यहां रहकर जाना है,
क्या करोगे लड़कर, मालूम नहीं अगले जन्म किस कौम में जाना है,
जियो और जीने दो, एक दूसरे का सम्मान करो,
जियो और जीने दो, उपासना पद्धति का सम्मान करो,
अगर नहीं बदले तो सुन लो, एक दिन तुम पर भी बम गिरेंगे, 
मारे और भगाए जाओगे, नफरत में पाले जाओगे
ये भारत है जो  बर्दाश्त कर रहा,  नहीं तो अबतक पेले जाते,
देखो चीन में, और सीखो क्या करना है तुझे


वन्दे मातरम

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बहुत ठंडी है
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बहुत ठंडी है,
जमीन ठंडी, आसमान ठंडा, ठंडा है आवो हवा,
नहीं नाहा पाता, नहीं घूम पाता, ठंडी है बहुत मरहवा,
पानी भी पी नहीं पाता, चाय की प्यास लगती है,
रुक रुक कर चल रही जिंदगी,
बेड पर से उठना है मुश्किल,
ऑफिस है जाना बहुत मुश्किल,
बस इतना है ख्वाइस की करू 
खाना पीना सोना और यूट्यूब वीडियोस देखना
बहुत ठंडी है भाई,
बहुत ठंडी है,

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संघर्ष
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है प्रलय व्याप्त जीवन में
है कहर भरा हर क्षण में
क्या करूं क्या ना करूं
संघर्ष लिप्त है जीवन में।

तेरे दर पर हम आए है
हे कृष्ण करो उद्धार मेरा
मै तेरे दया का भूखा हूं
संघर्ष निमित्त है जीवन में।

जीवन लगे है बोझ मुझे
मै सपनों को ना जी पाता
क्या हूं में कर रहा,
ये कभी नहीं समझ आता,
हूं फसा किसी बवंडर में
मै तेरे करुणा का प्यासा हूं
संघर्ष लीपा है मेरे क्षण में।

मै करता हूं काम कहीं
मेरा कोई पहचान नहीं
मेरी चाहत कुछ और है
क्या करूं मुझे कुछ भान नहीं
मुझे राह दिखा दो कान्हा जी
मुझे कुछ तो मिला दो कान्हा जी
मेरे जीवन मेरा मिले, कुछ ऐसा क्रिया करा दो कान्हा जी
मेरी सबकुछ अर्पण है तुझमें
संघर्ष लिप्त है जीवन में।

छोटी सी ये जीवन है
कुछ साल यहां रहकर जाना
कुछ करना है ऐसा कान्हा
जग में मेरा कुछ भाग रहे
पैसे का राग छिड़ा है
उससे मुक्ति का कोई मार्ग मिले
कुछ ऐसा मै अनुसंधान करूं
कुछ खोज करूं कुछ मौज करूं
जीवन सफल हो जाए मेरा
ऐसा कुछ मनमौज करूं
हे गोविन्द दिखा कोई राह मुझे
अर्पण सबकुछ है तुझपर
शीर्ष छठा का मृदुल दृश्य
मुझको देदे है गोविन्द
उलझन भरा है जीवन में
संघर्ष लिप्त है जीवन में।
संघर्ष लिप्त है जीवन में

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शीश झुके ना भारत की
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शीश झुके ना भारत की
कुछ ऐसा आग लगा दो तुम
विद्रोहियों के छाती पर
देश का नाम गढ़वा दो तुम।

ना ना जो नर नार करें
जो भारत का अपमान करें
दंगा नारा विद्रोह करें
आजादी मांगे तोड़फोड़ करें
भारत भूमि, संपत्ति बर्बाद करें
आग लगाए तोड़े फोड़े
तरक्की में अटकाए रोड़े
ऐसे पापी पिशाच के खून से इतिहास लिखो
आजादी मांगने वालों के अंग निकालकर दान करो।

बहुत सहा अत्याचार तेरा
तुम मुगल अफगानी हो या अंग्रेज
भारत रहा गुलाम बहुत अब
देश में जान आई है
जितना बांटना था बांट लिए
अब 1 इंच भूमि भी भारी है
तुम्हें चाहिए आजादी
हम दे के रहेंगे आजादी
आजादी तेरे जीवन से
आजादी भारत के कण-कण से
भेजेंगे तुझे हूरों के पास
जो तेरा हीं तो जन्नत है।

मेरे रग रग में भारत है
मेरे तन मन में भारत है
गर भारत तुझ में नहीं बसता
तू भारत का नालायक है
नालायक तू एक बोझ है 
तेरा रहना ना फलदायक है
तू जहर उगलेगा, आजादी मांगेगा, 
देश में आग लगाएगा
तेरे जैसे सुवर को आग लगा दूं मै
चौराहे पर लाकर तेरा धर से सर को उड़ा दूं मै
भारत प्रेमी जागो देखो, देश में कौन अराजक है
मार गिराओ पापियों को, देश का जो भक्षक है
क्या कहेगी पीढ़ी आनेवाली, प्रश्चिह्न् होगा हमारे पुरुषार्थ पर
पापियों का समूल नाश हीं, अगले पीढ़ी को संभाले आज

उठो जागो देखो, समाज के असमानताओं को
करो पुरुषार्थ अपने संस्कृति देश के संरक्षण को
शीश झुके ना भारत की, ऐसा पुरुषार्थ दिखा दो आज -२
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हे देश भक्त, देश प्रेमी 
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कल्प नहीं विकल्प नहीं, फिर क्या ढूंढ रहे हो तुम,
कोरे कागज पर लिख दो क्या क्या ढूंढ रहे हो तुम,
कैसी आजादी कैसा देश कैसा सभ्य समाज चाहिए,
क्या मंशा है तेरा विद्रोही खुलकर आज बता दो तुम,

धर्मनिरपेक्ष के आर में फलते फूलते है आतंकवादी,
धर्मनिरपेक्ष के समर्थन करते करते बनते और बनाते है आतंकवादी 
मूल नाश हो रहा है भारत का, जार साफ़ हो रहा है भारत का,
विश्वविद्यालय खोद रहे है कब्र प्राचीन हिन्दू की,
भारत की मिटटी पर मरने वाले, मिटटी की लाज बचा लो,
हे देश भक्त, देश प्रेमी , देश को इस्लाम की आग से बचा लो,

बड़ी जलन है इस ज्वाला में, इससे जले कई इतिहास है,
मिट गया पारस मिटा इंडोनेशिया, मिट गया अफगान, मिश्र, सिंध और बंगाल प्रान्त,
बचे हुए भारत की भूमि में फिर लग रहे आजादी के नारे, 
भारत की रग रग में बसने वाले, सांस की कर्ज चूका दो आज,
आजादी विद्रोही के नारे वालों से, देश नाश बचा लो 

कमी नहीं है देश में कुछ भी, फिर भी ये लड़ते मारते मरते है,
भारत बन रहा महा शक्ति फिर भी ये रट बिलखते है,
भारत की समृद्धि से इतना क्यों ये जलते है,
क्या ग़ज़वए-हिन्द नाकाम हो रहा इसीलिए ये रट है,
तोड़ दिया भारत को पहले हिन्, अब क्यों ये समाज को बाँटते है,
JNU जामिया, दिल्ली , केरल, बंगाल जहाँ जहाँ ये बसते  है,
हर जगह ये दंगा करते और देश को चोट पहुंचाते है,
भारत पर मर मिटने वाले, भारत की आँख के तारे,
बंटवारे के प्रियजनों से देश की डोर छुड़ा लो,
गद्दारों धोखेबाजों से देश की आस बचा लो,
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नव वर्ष की बधाई
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हो आंगन खुशियों से भरा
हो घर सुगंधों से भरा
गम कभी छू ना पाए
नव वर्ष ऐसा मिले सबको।

हासिल हो सबकुछ, जो भी चाहें आप
थोड़े मेहनत से हीं चमक जाएं आप
सारे सितारे आपके मंजिल की ओर हो
हमेशा खिलखिलाते मुस्कुराते रहे आप।

२०२० शांति और समृद्धि से भरपूर हो
आपका मन मस्तिष्क मौजों का सुरूर हो
ऐसा हो आपका जीवन की मानो,
सागर के लहरों का गुरूर हो।

आप और आपका परिवार खुश रहे,
ऐसा कुछ मिल जाए आपको,
आप अपने समाज में भी खुशियां बांट सकें,
ऐसा कुछ मिल जाए आपको।

आपकी सभी अनजाने में कि गई गलतियों को ईश्वर माफ करे
आपके चेहरे में चिंता की सिकन तक ईश्वर आने ना दे
बहुत हीं खूबसूरत मधुर रिश्ते हो आपका सबसे
ईश्वर आपकी जिंदगी में शहद सी मिठास भर दे।
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वीर रस से भावभूत होकर, अटल गाथा लिखता चल तू
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अग्निपथ की दुर्गम भू पर, शौर्य गाथा लिखता चल तू,
वीर रस से भावभूत होकर, अटल गाथा लिखता चल तू।

देश प्रेम से ओत प्रोत होकर, गर्म हवा झोकता चल तू
देश द्रोह का सर्वनाश कर, पाषाण पटल मढ़ता जा तू।

पुरुषार्थ के गीत गुण गुनाकर, कमल के फूल खिलाता चल तू,
भारत भारत भारत करके, हिन्द हिन्द हीं जड़ता चल तू।

जिहादी तत्वों और विपक्षियों के भारत इस्लामीकरण का भाव
कोरी कल्पना है इनके झूठे वादों और भड़काऊ भाषण के नाव
उनके धड़कन में देश द्रोह का डर गढ़ता चल तू
वीर रस से भावभूत होकर, अटल गाथा लिखता चल तू।

मीठे जल का सूक्ष्म सरोवर, देश हमारा भारत है
रंग बिरंगे मछली है हम, विद्रोहियों पर लालत है
देश जोड़ना दिल जीतना भारत की पहचान है
फिरंगी लुटेरे टुकड़े टुकड़े वालों की चंठ औकात है,
टेढ़ा हीं सही मेढ़ नियम का, भक्ति भाव जगाने को,
कोयरी सुर से अोत पोत संगीत छेड़ता चल तू।

मोदी नाम नहीं विचार है, सोच , कर्म और विकास है
देशभक्ति की वास्तविक छवि, मोदी मन का भाव स्वभाव है
दुनिया मोदी मोदी करती, तुझपे मेहरबान देश विराट है,
संकीर्ण सोच और देश द्रोही के हृदय दमन करता चल तू,
वीर रस से भावभूत होकर, अटल गाथा लिखता चल तू।

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सनातन धरती
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सनातन धरती आर्यावर्त सनातनी का नहीं तो किसका है,
प्राचीन संस्कृति हिन्दुओं का नहीं तो और भारत में किसका है,
भारत की पहचान अगर सनातनी नहीं तो तो और कौन है,
महमूद गजनवी और बाबर चोर लुटेरे आतंकवादी नहीं तो कौन है,
भारतवासी जागो अब तो तोड़ो कुम्भकरण की नींद को,
जिसने लूटा देश सदियों तक, और दिया नासूर जख्म,
ऐसे दरिंदो का करो बहिस्कार समाज और देश से, 
बता दो की अब बस हो गया , नहीं चलेगा संहार तुम्हारा, 
बचा लो भारत की संस्कृति अपने आने वाले पीढ़ियों का,
उठाओ शाश्त्र धर्म रक्षा के को, और करो भीषण हुंकार तुम,
बिगुल बजा दो राक्षश संहार का और कट्टरपंथी पिशाच का,
देखो दुनिया के इतिहास को सोचो कितने देश थे,
पारस, यजीदी , मिश्र , इण्डोनेशिए इत्यादि जैसे अनेक थे,
थोड़े थोड़े रह गए है बताओ किसके अत्याचार से, कौन है एक्स जिम्मेदार बता दो ,
सम्भले नहीं अगर अभी तो, भविष्य दूषित हो जायेगा,
हिंसा आतंक और खून खराबा आने वाली नश्लें झेलेंगी, 
जागो मेरे देश के वीरो छोरो ये भाई भाई का ढोंग, एक हाथ से ताली नहीं बजती,
छोरो साथ साथ का ढोंग,
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एक अकेला पार्थ है रण में
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धर्म युद्ध के क्रीड़ा स्थल में
धर्म की लाज बचाने को
एक अकेला कृष्ण है रण में
देश की लाज बचाने को।

अन्यायी अधर्मियों की टोली, एक तरफ हो बैठी है
क्या कौरव क्या रावण सब लुटेरों कि बड़ पैठी है,
साख पर रखी है देश की मिट्टी, उसकी मान बढ़ाने को,
एक अकेला पार्थ है रण में, देश की लाज बचाने को।

जिस मिट्टी के कन कन में हिन्दू, रग रग जन जीवन में हिन्दू,
हिन्दू जीवन हिन्दू तन मन , रग रग मन मन हिन्दू है
ऐसे मिट्टी के कर्जदार सब हिन्दू, कुछ देश की छवि नोचते है,
एक अकेला कर्म है रण में, मिट्टी की लाज बचाने को।

सारे विपक्षी एक हो गए, चोर डकैत दल्ले भल्ले
झपट नहीं पाते , बेचैन है सब , भ्रष्ट आतंक पर लगे है ताले,
अग्नि पर है देश की काया, मीठे जल को बचाने को
एक अकेला केशव है रण में, मृत देशभक्ति जगाने को।

गगनचुंबी सम्मान देश का, पार्थ के बाण का मान है
देश हित के अनेकों सफल फैसले, देश का अभिमान है,
कौरव सारे संगठित हुए है, केशव को हराने को,
एक अकेला पार्थ है रण में, अधर्मीयों को मिटाने को।

जिसके वाणी में नीर है बहता, आंखे वीर रस की धारा
कर्म देश के प्रगति पथ की बहती धारा
हाथ उठे तो देश के नारे, सिर उठे तो गुणगान देश का,
पाओं बढ़े तो प्रगति देश की, उन्नति और समृद्धि देश के
एक अकेला विकास खड़ा है, देश के भूख मिटाने को।

हे केशव तुम करो वार, कौरव कुल का करो संहार,
उठाओ सुदर्शन मार गीराओ सब अत्याचारी व्यभिचारी को,
बनाओ कानून बदल दो संविधान, दूर करो सब आडंबर
जोत जला दी देशभक्ति की, नष्ट कर विरोधी तत्व को।
देशधर्म की प्रखर ज्वार की जोत जलाने को
एक अकेला मोदी है रण में देश की जान बचाने को।

महागठबंधन कौरव मंथन
सब झूठ की माया है
देशहित नहीं है इनमें
ये कमाई की माया है,
इनके इस मया का संहार करने को
एक अकेला शेर है रण में , कुत्तों की शिकार करने को

हे पार्थ बाण चलाओ तुम, साथ निशाना भीष्म पर भीषण टंकार सुनाओ तुम,
मार गिराओ कर्ण और द्रोणाचार्य को,
देश की मिट्टी गिरवी रखी है, मार गीराओ सब दानव को
एक अकेला गिरिधर है रण में, दानव दल मिटाने को
एक अकेला केशव है रण में देश की लाज बचाने को।

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एक कतार में खड़े करके
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ये जो लोग विरोध करते है वो भारत के नहीं है,
ये जो भारत में हिन्दुओं का कब्र खोदने की साजिश कर रहे है वो भारत के नहीं है,
ये जो आजादी आजादी करते रहते है विश्वविद्यालयों में वो भारतीय नहीं है, 
भारत को चोट पहुंचने वाले सब भारत के दुश्मन है, दुश्मन को देश में रखना देश के साथ गद्दारी है,
खड़े करके एक कतार में गोली मार दो मोदी जी।

आजादी के नारे लगाने वाले और समर्थन करने वाले सब जिन्ना के औलाद है,
ये टुकड़े टुकड़े करने वाले इस्लामिक जिहाद है, भारत को ये बाँट देगा, समय नहीं है मोदी जी,
इन भडुओं दलालों मुस्लिम कट्टरपन्थों का कर दो कोई इलाज मोदी जी, 
एक कतार में खड़े करके गोली मार दो मोदी जी।

हिंसा दंगा तोड़ फोड़ हिन् इनकी निशानी है,
छोटी छोटी बातों में ये खून खराबा करते है,
भारत को कसाईखाना बना रहा ये , मोदी जी,
आतंकियों और लुटेरों का करता है ये अभिनन्दन ,
देश हित और हिन्दू हित की बातें इनको चुभती है,
कभी कुरान तो कभी ईशनिंदा कभी विधेयक पर हिंसा करते है, 
पाक पाक ये करते है और पाक ऐसे नापाक कहता है,
होता अमरीका में कुछ तो भारत में ये हत्या करते है,
ऐसे गद्दारों से देश बचा लो मोदी जी, 
एक कतार में खड़े करके गोली मार दो मोदी जी ।

इनके ज्ञान के मदरसे से बारूद बेम बन्दूक निकलते है,
ऐसा क्या पढता है जो ये आतंकवादी बन जाते है,
शन्ति से रहना नहीं आता इनको तभी तो पारसी मिट गए,
मिट जाते यहूदी भी अगर बंदउँ नहीं उठाये होते,
दुनिया साक्षात गवाह है ये बाबर के वंशज है, 
शांत नहीं हो सकती इनसे ये अत्तंक के वंशज है,
जामिया , JNU , AMU का कुछ तो इलाज करना है,
इन कट्टरपंथी आतंकियों का कुछ तो इलाज करना है,
नहीं चलेगा भारत में अब इनकी कठोर बर्बरता,
भागना होगा सभी जिहादी को भारत से कहीं और,
सभी गद्दारों को खिंच खिंच कर फांसी पर लटका दो मोदी जी,
एक कतार में खड़े करके गोली मार दो मोदी जी।
एक कतार में खड़े करके गोली मार दो मोदी जी।
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 नर पिशाच 
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 मानव नहीं रक्त पिशाच है तू ,
 निशाचर पापी अघोर कलंक है तू ,
 आकाल मृत्यु के अधिकारी है तू,
 भारतीय समाज का कलंक है तू,
 क्योंकि निर्भया के मौत का जिम्मेदार है तू,
निर्भया के अपराधी सुन ले,
तुझे हक़ नहीं है नर रूप में रहने का,
बहुत सह लिया लोगों ने तेरा ये कहर,
तुझे तड़पा तड़पा कर मारा जाएगा अब ।

खून पिया तूने संसार के सौंदर्य का,
लहू लुहान किया है प्रकृति के ह्रदय को,
तार तार कर दिया इज्जत और मानवता को
ऐसे नर पिशाच को जीने का अधिकार नहीं।
    लटका दो मोदी जी इनको रस्सी पर,
    या काट तो इनका गर्दन सबके सामने
    मरवा दो इनको सभी पत्थर से पीट पीट कर,
    कुछ भी करो लेकिन जल्दी से इनको निपटा दो।
    बना दो ठोस कानून मोदी जी,

सब्रा टूट रहा है अब जनता का,
सब तुम्हारे साथ है, ये पिशाच दुश्मन है हमारे,
ये पापी है, और प्रदुषण है समाज का,
ऐसा न हो जाये की जनता कानून हाथ में ले ले,
कर दो कोई उपाय मोदी जी, बना दो कानून मोदी जी।
    सब कहते है मोदी है तो मुमकिन है,
    आपने बहुत बड़े बड़े काम किया भारत में,
    दिखा दो ५६ इंच का सीना मोदी जी,
    जल्दी लटका तो इन पिशाचों को मोदी जी,
इनका साथ देने वाले नेता भी पिशाच है,
कोई देता सिलाई मशीन तो कोई घर,
कोइड नेता देता है पैसे तो कोई समर्थन,
अधर्मियों का साथ देने वाला भी अधर्मी है मोदी जी,
बना दो कानून दोनों के लिए मोदी जी,
लटक जाये सब पिशाच एक साथ मोदी जी,

नहीं चाहता बदलता भारत इन रक्त भोगियों के साथ रहना
नहीं चाहता समाज इन परजीवियों को पालना,
बदल दो तश्वीर अपराध और अपराधियों का,
बदल दो सूरत कानून और संविधान की मोदी जी,

जीने का अधिकार नहीं है ऐसे इंसानो का जो इंसानियत का दुश्मन है,
उसे जेल में भी नहीं रखा जाये जो बेटियों का दुश्मन है,
खुलेआम गोली मारो या गर्दन काटो १३वें दिन हरामियों की,
कर दो कुछ ऐसा काम मोदी जी,
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मेरा जीवन मेरा उपवन
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मेरा जीवन मेरा उपवन
मेरे मित्र है मेरा दर्पण
मेरे कुटुंब गण मेरे धन
क्यों डरूं क्यों घबराऊं मै तुझसे
मेरा जीवन मेरा उपवन।

तेरा तू समझे मेरा क्या
मै तो विरोध नहीं करता
फिर क्यूं जलता है मुझसे
मै तो तुझसे नहीं जलता
क्यों खोजे है मुझमें खोंट
मेरे मुझपर हीं छोड़
मेरा कर्म मेरा चमन
मेरा जीवन मेरा उपवन।

करूं मै कोई भी काम
तेरा क्या उसमें नुकसान
चुप होकर में करूं ध्यान
फिर भी तेरा जाए जान
मै हारूं या जीतूं
क्यों तेरा है जले प्राण
जी ले और जीने दे
क्यों तेरा है खून जले
मस्त हूं में अपने वन में
तू बस देख ले अपना
मेरा जीवन मेरा उपवन।

समय है कीमती, कभी नहीं वापस आता,
व्यर्थ में मै अपनी ऊर्जा, भला क्यों तुखपर भरता,
मै व्यस्त हूं हरदम, अपने सपनों के संसार में,
तू करले है जो भी करना तुझे,
ना जानूं मै कहीं से भी तुझे,
मेरा रण गण मेरा जीवन
मेरा जीवन मेरा उपवन।

नीरस वीरान है समय की कसौटी
काल है इसका दूजा नाम
बीत गया तो वापस नहीं आता
कर लो बस इसकी स्तुति
मेरा मान, तू खुद को पहचान
काम कर, की हो तेरा नाम
मेरे जीवन में ना घुस
अपने जीवन को पहचान
मेरा जीवन मेरा उपवन
मेरा जीवन मेरा उपवन।
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ऐ जिंदगी
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अध्याय १
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बहुत हीं खूबसूरत हो तुम या तेरी कोई सूरत नहीं
बता ऐ जिंदगी तेरी मूरत किधर है
ढूंढता रहा तुझे, तुम्हे हीं जीते हुए
बता तेरा पता किधर है
क्यूं तुझे समझ नहीं पा रहा मै
तेरी फितरत में इतनी उलझन क्यों है
क्यों संतुष्ट होने से भी तुम्हारा पेट नहीं भरता
तेरी भूख मिटाने का भोजन किधर है
तुझे ढूंढ़ते हुए मैने अपने बचपन  गवा दिया
और जवां होकर गांव, घर, माता, पिता और सभी पुराने दोस्त
ऐसे गुम हुआ हूं गृहस्थी में कि खुद का होश नहीं,
एक हीं रास्ता याद है अब 
            ऑफिस से घर और घर से ऑफिस आने जाने का
   सबकुछ होते हुए भी तुम क्यों नहीं है,
         क्यूं तू हर घड़ी परीक्षा लेता रहता है,
क्या तेरा अपना घर नहीं,
जो तुम मेरे हर पहर में शामिल हो जाता है
क्यूं तू मेरे हासिल और इच्छा दोनों में है
क्यों मेरे खयालों के दुनिया में है
क्या तेरी कोई उमर नहीं है
क्या तू कभी बूढ़ा नहीं होता
  क्यों नहीं समझता तुम हमारी परेशानियां
क्या तेरा कोई परिवार नहीं है
   क्यों हमारे अपनों के बीच दूरियां बनाता है
क्या तुझे किसी से प्यार नहीं
क्यों इतनी दर्द और तकलीफें देता है
क्या तुझे दर्द नहीं होता
एक पल के लिए तू खुशियां देता है
और दूसरे हीं पल छीन लेता है
कैसी फितरत है तेरी ए जिंदगी
तू किसी का अपना क्यों नहीं होता
तुझे ढूंढने के लिए रोजगार ढूंढा और रोजगार ने घर से दूर किया,
अब अच्छे रोजगार को तेरा नाम दूं या अपने घर को
मुझे समझा कि कैसे जियुं तुझे,
जब मेरे अपने हीं मेरे साथ नहीं,
 कैसी लीला है तेरी जो कोई तुझे समझ नहीं पाया,
बता तेरी हसरत में इतनी बेईमानी क्यों है
बता तेरी कोई जिंदगी है या नहीं
बता तू जिंदा भी है कि नहीं
बहुत हीं खूबसूरत हो तुम या तेरी कोई सूरत नहीं
बता ऐ जिंदगी तेरी मूरत किधर है
बहुत हीं खूबसूरत हो तुम या तेरी कोई सूरत नहीं
बता ऐ जिंदगी तेरी मूरत किधर है
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अध्याय २
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जब तू किसी और के पास होती है, तो लुभाती है
जब मेरे पास होती है तो और बेहतर पाने की इच्छा होती है
तू सबके पास एकसमान व्याप्त क्यों नहीं होती
तेरी पाने का राज क्या है।

बहुत हीं संकरी गलियां  है मेरे जीवन के सफर का
इन गलियों में भटक सा गया हूं
एक बार बस बता दे मुझे ए जिंदगी
की कौन सी गली तेरे घर तक जाती है ।

एक तरफ लोग दाने दाने का मुहताज
और दूसरी तरफ उजाला जश्न का
क्यों करती ही कटौती भोजन पानी का
क्यों गरीबी अमीरी का दीवार बनाती है।

सोचा था कि तूने अंधेरा सिर्फ मुझे दिया है
लेकिन जब ढूंढने निकला जमाने में
आश्चर्य हर किसी को तूने परेशान रखा है
जबाव दे मुझे तू कैसे करती है ये सब ।

हर किसी का तू हीं तलाश है, हर कोई तुझे चाहता है
लेकिन तू किसी के पास पूरी तरह से मौजूद नहीं

कोई तो नुस्खा होगा, कोई तो तरीका होगा
जिससे कि इंसान तुझे खुश रख सके
बता वो कौन सी नब्ज है तेरी
जिससे कि तू हम सबको खुशियां दे दो।

देखा मैंने जमाने के असमानताओं को
देखा है लोगों के भाषा व्यवहार को
सब तुझपे हीं आरोप लगाते है
कहते ही की बहुत तनाव है जिंदगी में।

सब एक दूसरे के दुश्मन बने बैठे है
सब अपनी परेशानी हीं बताते रहते है
कोई संतुष्ट नहीं है अपने जीवन में
क्यों इतना उतार चढ़ाव है तेरी फितरत में।

क्यों जहर घुला है सबके जीवन में इतना गाढ़ा
क्यों सब तुझे हीं अपना आरोपी समझते है
एक गुजारिश है मेरी तुझे ऐ जिंदगी
बस मुक्त कर दे तनाव सबके जीवन से।

बता ऐ जिंदगी कैसे तेरा दीदार करूं,
बता कैसे तुझे बनाऊं अपना
क्या सूत्र है तुझे फुसलाने का
कैसे तुझसे प्यार करूं।
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अध्याय ३
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मै हार नहीं मानूंगा
सुन ए जिंदगी मेरी बात एक बार
मै डरता नहीं तेरी खुदगर्जी की सितम से
चल तू कहर ढा अपने बवंडर का मुझपर
मै हार नहीं मानूंगा तुझसे।

मत गुरूर कर अपने खोखले ताकत पर तू
तेरी तो रोम रोम में बेईमानी है
मजबूर करके देख ले कैसे भी तू
मै हार नहीं मानूंगा तुझसे।

बेवकूफ है वो को तुझे हीं ढूंढ़ते फिरते है
मै बेहतर जीता हूं बेपरवाह होकर तुझसे
बहुत देखा है तेरे सितम से टूटते तारों को
चल लगा ताकत मुझे झुकाने की अपने आगे,
मै हार नहीं मानूंगा तुझसे।

पता है मुझे की तू नीति नहीं जानती
तेरा कोई धर्म नहीं तू कलंकित है कीसिसे
अपने काले जुबान से मुझे भी कलंकित करके देख ले
मै हार नहीं मानूंगा तुझसे।

मै दीवाना नहीं जो तुझे अपना लूं ए जिंदगी
तू मौके पर हीं मुंह फेर लेती है
सीखा है खुश रहने वाले से ये सूत्र उन लोगों से
जो तुम्हे दो कौरी में तौल कर रखते है
पोषित है तू खुदगर्जी, लालच और सुख से
चला के देख तू ये खुदगर्जी के बाण मुझपर,
मै हार नहीं मानूंगा तुझसे।
मै हार नहीं मानूंगा।

अध्याय - ४
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भीम का प्रहार हो
शेर की दहाड़ हो
प्रचण्ड कोप से बचा
तुम मेढ़ की पहाड़ हो

टेढ़ी मेढ़ी उबर खाबर
गड्ढे वाले गुमनाम सड़क सी
तेरे हकीकत कुछ ऐसे हीं है
खुरदुरे रोड़े वाले वीरान सड़क सी।

ब्रह्माण्ड के विस्तार सा
काल के कपाल सा
तेरी प्रखर विराट स्वरूप
विख्यात है संसार में।
त्वं अग्नि, त्वं ऊर्जा, त्वं क्षीण मनुष्य की कल्पना
नित्यम त्वं विद्यमान सर्वथा।

तुम हीं प्रसंशक तुम हीं आलोचक
तुम हीं कारण लाभ हानि के
एक को राजा दूजे को रंक बनाते
क्षीण मनुज तेरे पाणी के।

रे जिंदगी क्यों मजाक बना रहा
क्यों खेल रहा सबके जीवन से
तूने तो लगा रखी है हमारी
छोड़ दे पीछा हमारे गुलशन की।

छोटा, बड़ा, बच्चे बूढ़े, तूने कदर ना किया किसी की
सबको एक समान समझा, लिहाज ना कि उमर की
कुछ तो शर्म करते बच्चों को सताने में,
गलती तो बताते अबोध गरीब बच्चों की,
कुछ तो जन्म से महलों में रहते कुछ रहते फुटपाथ पर
कुछ खाते सोने की चम्मच से कुछ भूखे रहा जाते
रोता नहीं या सुखी आंखे है तेरी, या तेरा कोई मां बाप नहीं
बांझ है तू या दुश्मन बच्चे है, या जीवों से तुझे प्यार नहीं

बता ए जिंदगी तेरी हकीकत, तेरी कोई श्रृंगार नहीं
बता ऐ जिंदगी तेरी मकसद, तेरी कोई पृष्ठ भाग नहीं

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अध्याय-5
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खुले आसमान का उड़ता परिंदा था
विशाल समंदर का मचलता लहर था
था मस्त मगन महकता चमन सा
वो घूमना, मस्ती करना, दोस्तों के साथ पार्टी करना
फिर अचानक तेरी चाहत ने सूंघा मुझे
और मेरी पूरी हस्ती और हालत हीं बदल गई।

तूने जिम्मेदारी दी और दी साथ निभाने के वादे
किसी और को जोड़ा मेरे दामन से
बंधा मुझे सबके उम्मीदों से और
मै अब खुद एक उम्मीद बना बैठा हूं।

तूने बांधे मुझे समय से और मै समय ढूंढता हूं अपने लिए अब,
इतना भी समय नहीं होता कि खुद से बात कर पाऊं,
वास्तविकता से दूर एक काल्पनिक दुनिया बना दिया तूने,
अब जीवन तो बस एक क्षण सा लगता है
वर्षों बीत जाते है जैसे बीता कल के तरह।

तेरे बंधन का डोर बहुत हीं मजबूत है, मेरी कोशिश तोड़ नहीं पाती इसे
इसीलिए बेबस होकर तुझमें हीं घुला रहता हूं
सोचता हूं कि निकल जानूं जॉब के बंधे दुनिया से बाहर
और फिर जीने लगता हूँ तुम्हे हीं लाचार होकर|

अँधेरी सुरंग से संकरे रस्ते है, और अकेले सफर पर निकला हूँ,
तुझे ढूंढते ढूंढते तू सच में हीं छूट गया कहीं दूर सफर में,
तब भी तेरा तलाश था, और अब भी तेरा तलाश है,
फर्क बस इतना है की बस समय और सूरत बदल गया है,

जोर डालता हूँ दिमाग में, सोचता रहता हूँ हमेशा,
कहता हूँ खुद से की कैसे जियूं अपने सपने को साकार करने के लिए, 
लेकिन पैसे की जरुरत और  जिम्मेदारी नौकरी करने को मजबूर करती है,
और इस कस्मकस में समय नहीं मिलता सपनों के लिए काम करने का |

थी तलाश मुझे कुछ ऐसे नगमे की, जिसे गुनगुनाने का ख्याल जहन में था,
थी इच्छाएं खुले वादियों में, नीले गगन के नीचे पतंग उड़ने की,
थे कुछ ऐसे विचार की खुलकर जियूं प्रकृति के सान्निध्य में,
बस कहर बरसा दी तूने नौकरी और जिम्मेदारी की, और खो गया कहीं मैं |

क्या यही हकीकत है तेरी, क्या ऐसे हीं तू सबको परेशां करती है, 
यही सवाल है तुझसे मुझे, क्या ऐसे हीं तू सभी को लहू लुहान करती है,
बता इ जिंदगी मुझे, कैसे जिया जाये तुझे,

तू सबके पास होकर भी दूर है,
तुझसे हीं सब मजबूर है
ख़बरदार है हर कोई तेरी खुमारी से,
और तू अपने धुन में रमी भरपूर है|

अध्याय - ६ ( नजरअंदाज )
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तेरी मदहोस चल को कर दूँ क्या नजरअंदाज मैं,
क्योंकि तू कभी मेरी सुनता नहीं,
तेरी अपने गति है जिससे तू बस चलता रहता है,
बता ए जिंदगी तेरे सफर का कौन कौन मुसाफिर है,

सोचता हूँ की तुझ से रहूं बेखबर हरदम,
सोचता हूँ तेरे साज के किसी भी तर को ना छेड़ूँ,
सोचता हूँ तुझे कोई सुर हीं ना दूँ,
बस जीता जॉन अपने धुन में, अपने मन की चाहत में|

क्या तूं तंग करेगा मुझे, क्या तू क्षण भर का भी आराम नहीं देगा,
क्या तेरी फितरत में सुकून नहीं है लोगों के लिए,
बता ना मेरे नजरअंदाजगी का सजा अगर है तो,
तुझसे इस तरह परेशां होकर मैं तुझे क्यों ना नजरअंदाज करूँ,

माना की मुसाफिर हूँ तेरी, हर कोई मुसाफिर है यहाँ,
खट्टे मीठे स्वाद से भरा सफर है सबका यहाँ,
पर तू ए जिंदगी क्यों चुल्ल करता है सबके सफर में,
क्यों रोड़े अटकता है और आंसू के जाल बिछाता है,

माफ़ कर मुझे अगर मैं तुझे समझ नहीं पाया,
लेकिन जितना समझा उतना तुझे नजरअंदाजगी का हीं समझा,
जीना वर्त्तमान में समझा और भूलना भूत को समझा,
समझा चिंता नहीं करना भविष्य का और जीते जाना बस जीते जाना,

 अध्याय - ७ (मुश्किल है तू बहुत)
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बहुत मुश्किल है तुझे समझना ए जिंदगी,
आसान भी नहीं तेरे बगैर रहना,
धरा के जीव कैसे जियें तेरे बगैर... बता दे,
तुझे कहाँ चुना और कहाँ छोरा जाये बता दे |

    बहुत मुश्किल है आकाश के अनंत विस्तार को आंकना,
    बहुत मुश्किल है पातळ के गहराई को नापना,
    बहुत मुश्किल है प्रकृति के रचना का व्याख्या करना,
   और बहुत मुश्किल है तेरे उलझे सवाल को समझना,
एक पल तो बहुत आसान और कर्मों का लेखा जोखा लगता है,
और दूसरे हीं पल अचानक से पैदा हुआ एक दुर्घटना सा लगता है
बड़े पेचीदे सवाल भी आते है तेरे सफर में,
बड़ी मुश्किल है सवालों के होने का वजह समझने में ,
     मुश्किल तो और भी है इस बवंडर से भरी सफर में,
     यात्रा आसान नहीं होता तेरे मौजूदगी में हमेशा,
     ऐसे पेचीदगी से भरी होती है तेरी कहानी ,
     बहुत मुश्किल है कहानी को शब्द देने में|
रिश्तों के आड़े आता है तू, कभी दौलत के आड़े आता है तू,
बहुत मुश्किल है सबके बीच एक चुनाव करने में, बहुत मुश्किल है किसी को छोड़ने में,
दौलत, सोहरत और रिस्तो के बीच में तू हीं लकीर खींचता है,
कभी तोड़ता है कभी जोड़ता है, और ये सिलसिला पूरा जीवन के सफर तक चलता है,
बहुत हीं संजीदा है तेरे पेंच जिसे कोई समझ नहीं पाता |
     कहते है कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,
     कहते है कोशिश कभी नाकाम नहीं होता,
     लेकिन हर कोशिश तेरी हीं सफर का हिस्सा है,
     और तेरा फैसला हीं आखिरी परिणाम होता है,
      हजारों बार बार की कोशिश भी नाकाम होती है,
     जिंदगी बीती है लोगो की सिर्फ कोशिश करने में, और उसे नतीजा नहीं मिला|

अध्याय - ८ (आधी हकीकत आधा फ़साना )
--------------------------------------------------
हसरत है एक ख़ूबसूरत जिंदगी की सबको,
लेकिन ये तलाश हमेशा पूरी नहीं होती,
कुछ तो पा लेते है ऐसे थोड़े प्रयास से,
लेकिन कुछ तो उनकी भी अरमान अधूरे रह जाते है,
तेरी खूबसूरती के तलाश के सफर में,
बहुत कुछ पीछे छूट जाता है,
जबतक तुझ तक पहुँचता है राही ,
उसके स्वास्थ्य, अपने , रिश्ते, सब छूट जाते है।
तू है हिन् नहीं हकीकत में, बस एक हल्का पर्दा है आँखों के ऊपर का,
लोग यूँ हिन् तुझे पाने की हसरत लेकर जीते है,
क्योंकि ये हसरत हकीकत में कभी पूरी नहीं होती,
और जिंदगी के दौर में बहुत कुछ ख़ास छूट जाता है ।
        मेरी नजर में तो अपनों के साथ समय बिताना हिन् जिंदगी है,
        मेरी नजर में पैसा भले हिन् काम हो लेकिन रिश्ते सारे पक्के होने चाहिए,
        मेरी नजर में तू बस मौज और मस्ती का हिन् रूप है,
        मेरी नजर में तू बस खुश होकर जीते जाने का नाम है,
        मालूम नहीं और क्या स्वरुप है तेरा, मै तो बस इतना हिन् जानता हूँ।
तेरी कहानी आधी हकीकत और आधी फ़साना है तेरी जवानी,
बिना कुछ छोड़े तू हासिल नहीं होता,
अब जो छूट जाता है सफर में उसकी कीमत अंत में मालूम होती है सफर के,
और तेरी ओर बढ़ा हर कदम एक धोखा और झूठ लगता है ।
        बस यही कहानी है तेरी, भरी है तू फ़सानो के शब्दों से,
        शायद कुछ हकीकत नहीं है तेरी, किसी भी अल्फाज में ऐ जिंदगी,
फिर भी सब तुझमे हिन् गुम है, 
बिना सोचे समझे सब तेरा शिकार है,
बड़ी बेरहम है तेरा जिल्लत भरा यात्रा,
        की सफर में यात्री तुझसे कोई सवाल भी नहीं कर पाता।


घर तुम्हारा है बाबू
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है सुरक्षित जगह कोई तो
घर तुम्हारा है बाबू
जीना है अगर जग में तो
घर में हीं रहो बाबू
पूजा पाठ बंद हो गए
बंद हुए सब क्रिया करम
ऐसे में कुछ करना है तुझको
घर में रहना सीख लो
काल वक्त है बीत रहा
दुनिया विनाश कि ओर है
मौत हीं मौत हो रहा
तांडव है सब ओर प्रखर
मौत से बचना है तुमको तो
घर पर रह लो बाबू।
मौलवी मौलाना की मत सुनो
अगर मौत से तुमको बचना है,
खतरा सिर्फ तुझपर नहीं ये,
खतरा तेरे परिवार पर भी है,
ऐसे में सिर्फ अपने घर पर हीं रहो बाबू।


धर्म की आड़ में तूने बीमारी फैलाया
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धर्म की आड़ में तूने बीमारी फैलाया
धर्म के आड़ में तूने सरकार को गुमराह किया,
धर्म की आड़ में तूने हजारों को बीमार किया,
धर्म के आड़ में तूने मौत का नंगा खेल किया,
धर्म के आड़ में तूने विश्व व्यापी संकट को आधार दिया,
धर्म के आड़ पर तूने दुनिया को कष्ट में डाला,
कॉरोना को ईमान और तेरा धर्म समझ आता है क्या ?
क्या ये तेरा कोरोना जिहाद है ?
मूर्ख बुद्धि के तुम और तुम्हारा धर्म विशेष है,
ऐसे में तुझे और तेरे धर्म को आतंकवादी नहीं तो और क्या कहूं,

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शब्द शूल की नहीं 
ये मूल है विकास का ,
दीन का ध्वंश है,
अब सृष्टि तेरी ओर है ,
सोच जो भी पायेगा तू अब ,
ब्रह्माण्ड तेरी ओर है,
असीमित ऊर्जा है तुझमे,
संकल्प तेरी ओर है ,
दृढ हो सुदृढ़ हो,
प्रखर मुख की तेज हो ,
जला दे पूरे विश्व को जो,
ऐसी अजर निश्चय हो ,

----------------------------------------------------------------------------



Beautiful poem for spreading awareness on the natural desasters, on the god's annihilation, great creation of a poem on this कुछ नहीं बस इंसान बनो, please read and enjoy the meaning of it, do not forget to share it.


क्या हुआ तेरे शहर में ग़ालिब,
लोग थूक थूक कर अल्लाह के रहनुमे बन रहे है ,
क्या अल्लाह ने गुटखा खाना शुरू कर दिया,
या अल्लाह के नुमाईन्दे काफिर बन गए है...
Click this link to read complete poem   थू थू गिरोह दिल्ली


बेहतर होता की तुम भी देश की आवाज होते,
बेहतर होता की तुम भारत के हाथ होते,
तुझमे भी बहुत है भारत के चहिते-2
काश तुम भी अब्दुल कलम और अब्दुल हमीद होते,
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