Sunday 22 March 2020

कुछ नहीं बस इंसान बनो

कोरोना का पूरी दुनिया में  विषाक्त कोहराम मचा है उससे लड़ने के लिए हम सभी  को एकजुट होना हिन् पड़ेगा,
अगर हम मिलकर सरकार, डॉक्टर्स और पुलिस का मदद नहीं करेंगे तो विश्वास कीजिये हमारा देश भी बहुत जल्दी हिन् दुनिया का सबसे कोरोना प्रभावित देश बनेगा, क्योंकि हमारे पास उतनी ताकत नहीं है की हम चीन, इटली और अमेरिका जैसे इनसे लड़ सकें, इसीलिए हमें कोरोना को इसी स्टेज में रोकना होगा, हमें इंसान बनकर धर्मों से ऊपर उठकर मानवता के बारे में सोचना हिन् होगा और शाकाहार को अपना कर सभी जिव जंतुओं का भी ध्यान रखना होगा, अगर हम ऐसा नहीं किये तो विश्वास कीजिये इंसान की ये विकाशशील सभ्यता काल के गाल में समां जायेगा,
मैंने इसके लिए एक कविता का रचना किया है, कृपया ऐसे आप ध्यान से पढ़ें और शेयर करें, ताकि जागरूकता दूर दूर तक फैले :

कुछ नहीं बस इंसान बनो,
मानव मानव का था दुश्मन,
धर्म के खेमे में सब बंटे थे,
कोई काले कानून को लेकर, तो कोई अंध भक्ति में गुम थे,
किसी को इस्लाम खतरे में, तो किसी को आतंक की सुपारी मिले थे ,
आतंक का कारखाना पाकिस्तान परमाणु बम में गुम  थे,
इंसान भगवान को भूल बैठा, इंसान सबकुछ खाने लगा,
क्या जीव जंतु, क्या पशु पक्षी, इंसान इंसान को खाने लगा,
और भगवान को भूलकर अपने सुख भोग में खो गया 
ईश्वर क्रोधित हुआ मानव पर,
धिक्कार हुआ उसको अपने इस रचना पर,
मानवता की याद दिलाने को, 
इंसान को इंसान बनाने को,
परमेश्वर ने धरती पर,
फिर से कोहराम मचाया है,
कोरोना नाम का मृत्यु नाच नचाया है
मौत के डर से दुश्मनी मर गयी,
इंसान सभी एक हो रहे है |

प्रदुषण सारे कम हो गए, क्या जल, भूमि, वायु और ध्वनि 
सब कम  हो रहे, प्रकृति चरम सुख की शीर्ष अनुभूति करने लगी,

इंसान खुद को भगवान ना समझे,
इसकी व्यवस्था कर दी ईश्वर ने,
त्राहि त्राहि कर रहा मानव पृथ्वी का,
चारो ओर बस भय का घर है,
मंदिर मसचिद चर्च गुरुद्वारा सब पर ताले लग गए,
भीड़ पड़ी शहरों में अब चूहे डेरा डाल दिए,
कैद हुए सब घर में अपने, खुद के जान बचाने को,
काम यही है सबका दिनभर,

समाचार देखना, मरीज और लाशों  की गिनती करना,
सब घर में बैठे है पूजा करने,

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक हो गए
मानव समझ ले अंतिम बार ये , की तेरा एक हिन् दीन धर्म है,
मानव हो मानवता हिन् बस तेरा एक कर्म है,
खुद को बनावटी धर्मो में बाँटोगे तो सजा मिलेगी,
प्रकृति ऐसे हिन् तुम्हे समय समय पर तोड़ेगी,

याद करो डायनासौर को, जो कभी राज किया करते थे,
उसके विनाशकारी विध्वंशक अंत की भी कोई बजह होगी,

कुछ नहीं बस इंसान बनो,
कुछ नहीं बस इंसान बनो

विषाणु जीवाणु सब हमने बनाये है,
प्रकृति के साथ हुई छेड़-छाड़ हिन् इसके कारक है,
कोरोना तो एक झलक मात्रा है विनाश का,
नहीं सुधरे तो महाविनाश भी देखोगे,
प्रिथ्वी के सभी इंसान बस इंसान बनो,
कुछ नहीं बस इंसान बनो





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